कॉपीराइट क्या है और इसपर क्या कानून है? - Copyright Act in Hindi

भारत में कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन वर्ष 1957 में बने कॉपीराइट एक्ट के तहत होता है, जो 1958 से हरकत में आया. वैसे कॉपीराइट का पहला कानून ब्रिटिश राज में 1912 में बना था. उसके बाद इसमें संशोधन भी हुए

कॉपीराइट क्या है और इसपर क्या कानून है? - Copyright Act in Hindi

Copyright Act in Hindi - जब भी कोई शख्स अपने दिमाग में उठे विचार को किसी भी रूप में Expressed करता है, तो वह किसी-न-किसी रचना का Creation करता है और creator हो जाता है। इस नई रचना या उसके किसी महत्वपूर्ण अंश का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने का अधिकार ही कॉपीराइट है। 'सब चलता है' कहते हुए कॉपीराइट का उल्लंघन किया जाना भारी पड़ सकता है। इसलिए जानना जरूरी है कि कॉपीराइट क्या है और कैसे हम अपनी अज्ञानता और लापरवाही से यह अपराध करने से बच सकते हैं।

कॉपीराइट एक तरह से कानूनी अधिकार है, जो साहित्य, नाटक, संगीत, फिल्मों और कलात्मक कामों के क्रिएटर्स पर लागू होता है. कई बार बिजनेस और स्टार्टअप को भी कॉपीराइट के तहत रजिस्टर्ड कर सकते हैं. इसका संबंध इंस्ट्रक्शन मेन्यूअल, प्रोडक्ट लिटरेचर और यूजर्स गाइड से होता है

कॉपीराइट का अधिकार - कॉपीराइट का अधिकार Natural या दीवानी अधिकार नहीं है। यह कानून द्वारा Control किया जाता है। सबसे पहले 1662 में ब्रिटिश संसद ने 'लायसेंसिग ऑफ प्रेस ऐक्ट' पारित किया। प्रिंटिंग प्रेस और मशीनों के विकास और प्रसार ने धीरे-धीरे इस अधिकार की जरूरत को दुनिया भर में पहुंचा दिया और इसके बाद दूसरे देशों में भी इस तरह के कानून बनने लगे। लेकिन ये कानून creators और Businessmen को सिर्फ अपने ही देश में protection प्रदान कर सके। किसी भी रचना की दूसरे देश में कितनी ही प्रतियां बनाई और वितरित की जा सकती थीं। इस पर रोक लगाने के लिए देशों के बीच संधियां होने लगीं, जिन्हें कानून में स्थान दिया जाने लगा। आज लगभग सभी देश कॉपीराइट पर हुई संधियों में से किसी एक में पक्षकार हैं, जिससे इस अधिकार को लगभग पूरी दुनिया में Acceptance प्राप्त हो चुकी है।

भारत में कॉपीराइट - Copyright in India

Copyright Act in Hindi - भारत में कॉपीराइट की शुरुआत भारतीय कॉपीराइट ऐक्ट-1914 से हुई, जो उस समय इंग्लैंड में प्रचलित अंग्रेजी कानून कॉपीराइट ऐक्ट 1911 (यूके) में मामूली हेर-फेर के साथ बनाया गया था। आजादी के बाद देश में कॉपीराइट पर एक संपूर्ण और स्वतंत्र कानून की जरूरत महसूस की जाने लगी। Broadcasting और लिथो फोटोग्राफी जैसे नए, आधुनिक संचार माध्यमों और भारत सरकार द्वारा Approved International liabilities के Subsistence के लिए संसद ने कॉपीराइट ऐक्ट, 1957 Pass किया, जो वक्त-वक्त पर बदलते हुए हालात में संशोधित किया जाता रहा। कॉपीराइट किसी भी रचना के तैयार हो जाने पर या प्रथम प्रकाशन के साथ ही शुरू हो जाता है। इसके रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं है लेकिन इसके सबूत के लिए कि किसी विशेष रचना पर किस शख्स का कॉपीराइट है, कॉपीराइट के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है। इसका देश में एक मात्र कार्यालय नई दिल्ली में है।

किसका कितना हक? - भारत में कॉपीराइट का Ownership मूलत: रचनाकार का होता है लेकिन कोई शख्स किसी दूसरे शख्स या कंपनी के साथ किसी कॉन्ट्रैक्ट या उसकी शर्तों के मुताबिक काम करते हुए कोई रचना करता है, तो उस रचना पर पहला हक उस कंपनी का होता है जिस के लिए वह कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है। किसी भी रचना में कॉपीराइट का Ownership उस रचना के लेखक की मृत्यु के अगले कैलंडर वर्ष की शुरुआत से लेकर 60 वर्ष तक का रहता है। लेकिन फोटोग्राफ, फिल्म, साउंड रिकॉर्डिंग, कंप्यूटर प्रोग्रेस, Architectural artwork, सरकारी कामों और अंतरराष्ट्रीय कामों में कॉपीराइट का अधिकार रचना के प्रकाशन से 60 वर्ष तक ही रहता है। इस अवधि के समाप्त होने पर रचना पर कॉपीराइट का अधिकार समाप्त हो जाता है और वह रचना पब्लिक डोमेन में चली जाती है। तब उस Work का कोई भी शख्स इस्तेमाल कर सकता है।

हक छोड़ना - कॉपीराइट का अधिकार कोई भी कृतिकार अपनी इच्छा से छोड़ना चाहे, तो कॉपीराइट रजिस्ट्रार को नोटिस दे कर ऐसा कर सकता है। कॉपीराइट रजिस्ट्रार इसकी अधिसूचना गैजट में जारी कर देता है। दरअसल, कॉपीराइट एक Self acquired property की तरह है, जिसे उसका स्वामी transfer कर सकता है, उसके इस्तेमाल के लिए दूसरों को लाइसेंस दे सकता है, उसकी वसीयत कर सकता है और अगर वसीयत नहीं करता है, तो उसके जीवनकाल के बाद यह अधिकार कॉपीराइट के स्वामी पर प्रभावी पर्सनल लॉ के मुताबिक उसके उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो जाता है।

दायरा है बड़ा - कॉपीराइट के तहत किसी भी रचना को किसी तरह फिर से प्रस्तुत करना या इलेक्ट्रॉनिक विधि से किसी माध्यम में संग्रहीत करना शामिल है। इसके अलावा किसी रचना की प्रतियां आम लोगों में वितरित करना, उसका सार्वजनिक प्रदर्शन या प्रचार करना, उसके संबंध में फिल्म बनाना, उसे दिखाना, साउंड रिकार्डिंग करना, अनुवाद करना, Conversion या Adaptation करना भी कॉपीराइट के बड़े दायरे में शामिल है। एक अनुवाद को भी स्वतंत्र Original composition माना गया है, अगर वह मूल रचना के स्वामी की स्वीकृति से किया गया हो।

क्या है कॉपीराइट उल्लंघन? - अगर कोई शख्स कॉपीराइट के स्वामी की इजाजत के बिना या कॉपीराइट पंजीयक से लाइसेंस प्राप्त किए बिना रचना का इस्तेमाल करता है या लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करता है या वह उस रचना की उल्लंघनकारी प्रतियां बेचने के लिए बनाता है, या भाड़े पर लेता है, या व्यवसाय के लिए प्रदर्शित करता है या बेचने या भाड़े पर देने का प्रस्ताव करता है, या व्यवसाय के लिए या इस हद तक वितरित करता है, जिससे कॉपीराइट का स्वामी प्रतिकूल रुप से प्रभावित हो, या व्यावसायिक रुप से सार्वजनिक रुप से प्रदर्शित करता है तो यह उस रचना में कॉपीराइट का उल्लंघन है।

ऐसी है सजा - कॉपीराइट के उल्लंघन से संबंधित मामलों में उसे रोकने के लिए Injunction प्राप्त करने, क्षतिपूर्ति प्राप्त करने, हिसाब-किताब मांगने आदि कई उद्देश्यों जैसे कई मकसदों के लिए दीवानी वाद पेश किए जा सकते हैं। इसी तरह कॉपीराइट के अनेक प्रकार के उल्लंघनों को अपराध बनाया गया है। आरोप साबित हो जाने पर अभियुक्त को जुर्माने से लेकर तीन साल तक के कारावास की सजा दी जा सकती है।

यह नहीं है उल्लंघन Fair Use - कॉपीराइट ऐक्ट Creations के स्वामी के अलावा दूसरे शख्सों द्वारा किए जा रहे Uncontrolled इस्तेमाल को सीमित करने के लिए अस्तित्व में आया था। लेकिन इससे शिक्षा, ज्ञान और कला के प्रसार को बाधा पहुंचने का खतरा भी कम नहीं था। इस वजह से रचनाओं के कुछ उपयोग ऐसे भी निर्धारित किए गए, जिन्हें कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं माना गया। कंप्यूटर प्रोग्राम के अलावा साहित्यिक, नाटकीय, संगीतीय या कलात्मक रचनाओं का व्यक्तिगत या रिसर्च में उपयोग, रचना की आलोचना एवं समीक्षा करने के लिए किया गया उचित-व्यवहार कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है। किसी समाचार-पत्र, पत्रिका या फिल्म या चित्रों में Broadcasting हेतु किया गया समुचित उपयोग भी कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है।

मामला रॉयल्टी का - कॉपीराइट कानून से जहां रचनाकारों को उनकी रचना पर सही कीमत और रॉयल्टी मिलने लगी है। लेकिन इसमें कई कमियां भी हैं। ज्यादातर रचनाकारों से तय रकम पर काम करवा कर रचनाओं का निर्माण करवाया जाता है और व्यवसायी इसका फायदा उठाते हैं। इस हालत को बदलने के लिए 2012 में कानून को संशोधित किया गया। अब इस तरह के कुछ खास तरह के कामों के लिए रचनाकारों को उनके योगदान से बनी कृतियों पर जीवन भर रॉयल्टी की व्यवस्था की गई है।

दो अहम मामले : 2 Law Cases

1.विश्व पुस्तक व कॉपीराइट दिवस मनाने के हफ्ते भर बाद ही बेंगलुरु पुलिस ने देश के मशहूर इंटरनेट सर्च इंजन गुरुजी डॉट कॉम के दफ्तर पर छापा मारा और उनके बहुत सारे कंप्यूटर जब्त कर लिए। कंपनी के फाउंडर और सीईओ अनुराग डोड और कुछ दूसरे अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने यह कार्रवाई टी-सीरीज द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर की थी, जिसमें गुरुजी डॉट कॉम पर संगीत उत्पादों के कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

गुरुजी डाट कॉम अपने सर्च इंजन के लिए लोकप्रिय हुआ था। लेकिन कुछ समय से उसने संगीत के लिए सर्च इंजन बनाया, जो किसी भी संगीत रचना को फौरन तलाश कर सकता था। इतना ही नहीं, वह वैसे लिंक भी उपलब्ध कराता था, जिन पर जाकर कोई भी फौरन उस संगीत को सुनने के साथ ही उसे डाउनलोड करके अपने कंप्यूटर पर सेव कर सकता था और जब चाहे उसका इस्तेमाल कर सकता था। यकीनन गुरुजी डाट कॉम की वजह से सभी संगीत उत्पादों की बिक्री पर बुरा असर पड़ा था। लेकिन यह तो सर्च इंजन की खासियत थी कि उस सर्च इंजन ने किसी भी संगीत उत्पाद या उसके अंश को न तो प्रस्तुत किया था और न ही किसी तरह का इस्तेमाल किया था।

इस गिरफ्तारी से आईटी इंडस्ट्री में सनसनी फैल गई। यह अपनी तरह का पहला और विचित्र मामला था, जिसमें गुरुजी डॉट कॉम ने एक ऐसा सर्च इंजन बनाया था, जो संगीत उत्पादों का कोई सीधे इस्तेमाल न कर सिर्फ उन लिंकों का रास्ता बताता था, जहां से शिकायतकर्ता कंपनी के उत्पादों को बिना कोई मूल्य दिए हासिल कर सकता था। इस मामले से यह सवाल खड़ा हो गया था कि क्या इस तरह के स्वतंत्र काम को भी कॉपीराइट ऐक्ट का गंभीर अपराध माना जा सकता है, जिसमें पुलिस अपने विवेक से संज्ञान लेकर कंपनी की संपत्ति को जब्त कर ले और उसके उच्चाधिकारियों को गिरफ्तार कर ले। इस मामले में गिरफ्तारी तक कहीं भी अदालत और कानून विशेषज्ञों की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन अभियुक्तों को अदालत में पेश करते ही वह शुरू हो जाने वाली थी। इस मामले में अभी कोर्ट का फैसला आना बाकी है, जो हर लिहाज से अहम होगा और जो कॉपीराइट ऐक्ट से जुड़े अपराधों के विस्तार और सीमाओं को साफ करेगा।

2.यूरोप के तीन प्रमुख पुस्तक प्रकाशकों ने दिल्ली विश्वविद्यालय पर मुकदमा किया, जिसमें विश्वविद्यालय में पुस्तकों की फोटोकॉपी करने को कॉपीराइट का उल्लंघन बताया है। इन प्रकाशकों की आपत्ति को मान लिया जाए, तो छात्र उन महंगी पुस्तकों का इस्तेमाल करने से वंचित हो जाएंगे। इस आपत्ति को मशहूर अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन सहित कई अहम शख्सियतों ने इस आधार पर खारिज कर दिया है कि इसका शैक्षणिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव होगा। लेकिन कुछ लोगों ने उसका विकल्प भी सुझाया है। उनके मुताबिक अगर फोटोकॉपियां प्रकाशकों से लाइसेंस प्राप्त करके की जाएं तो एक-डेढ़ रुपया प्रति पृष्ट की दर पर छात्रों को उपलब्ध हो सकती हैं और प्रकाशकों को भी उसका फायदा मिल सकता है।