विवाह प्रमाणपत्र के फायदे - Marriage Certificate Benefits in Hindi

Marriage Certificate एक Legal Document हैजिसके तहत 2 लोगों को शादीशुदा माना जाता है. हमारे भारत देश में दो लोगों को शादी के बाद हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और स्पेशलमैरिज एक्ट 1954के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद एक कानूनी दस्तावेज दिया जाता है जिसे Marriage Certificate कहते हैं.

विवाह प्रमाणपत्र के फायदे - Marriage Certificate Benefits in Hindi

Marriage Certificate Benefits in Hindi - पूरी शानो-शौकत से आपने शादी तो कर ली, पर क्या उसका रजिस्ट्रेशन करवाया? कई अधिकारों को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है। मैरिज रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है और इससे आपको क्या-क्या फायदे हो सकते हैं, जानते है इस पोस्ट में.

Marriage Certificate Benefits in Hindi - शादी के बाद चाहे संयुक्त बैंक खाता खुलवाना हो या स्पाउस वीजा चाहिए, वहां आपको विवाह पंजीकरण का प्रमाण पत्र दिखाना होगा। वैसे तो अपका शादीशुदा होने का प्रमाण आपकी शादी का कार्ड, फोटोग्राफ, पुजारी द्वारा शादी संपन्न कराने का प्रमाण पत्र आदि आपके पास होगा, लेकिन इतने सारे दस्तावेजों को सब जगह लेकर जाना संभव नहीं है। ऐसे में आपके विवाह का पंजीकरण प्रमाण पत्र आपको इन समस्याओं से निजात दिला सकता है। यह एक दस्तावेज आपको कई तरह के फायदे पहुंचा सकता है।

शादी के पंजीकरण के फायदे - Marriage Certificate Benefits in Hindi

  • भारतीय कानून के अनुसार यह आपके विवाहित होने का कानूनी प्रमाण है।
  • बैंक खाता खोलने के लिए
  • पासपोर्ट बनाने के लिए
  • जब कोई दंपति ट्रैवल वीजा या किसी देश मे स्थायी निवाश के लिए आवेदन करता है तो मैरिज सरिटिफिकेट काफी मददगार साबित होता है |
  • जीवन बीमा की फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है { पति या पत्नी मे से किसी की मौत हो गई हो } नौमनी अपने आवेदन की पुष्टि मे कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे तो कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती है |
  • भारत मे स्थित विदेशी दूतावासो या विदेश मे किसी को पत्नी साबित  करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है |
  • विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओ मे विश्वाश और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है |
  • पति पत्नी के बीच किसी तरह का विवाद ( दहेज, तलाक गुजाराभत्ता लेने आदि ) होने की स्थिति मे विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है |
  • बाल विवाह पर लगाम लगाने मे मदद मिलती है क्योकि अगर आपकी उम्र शादी की नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा |
  • शादीसुदा हो या तलाकसुदा दोनों सूरत मे विवाह प्रमाणपत्र काम आता है | महिलाओ के लिए यह दस्तावेज़ ज्यादा उपयोगी है क्योकि तलाक के बाद महिलाओ को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषो की तुलना मे ज्यादा होती है |

धोखाधड़ी होने पर दोषी को पकड़ने में मददगार - अगर कोई किसी को शादी के बाद धोखा देकर भाग जाता है तो ऐसे में महिला इस प्रमाण पत्र की मदद से पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकती हैं। आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की मदद से पुलिस दोषी का पता आसानी से लगा लेती है।

तलाक लेना हो जाता है आसान - तलाक के लिए अपील करने के लिए भी आपको विवाह पंजीकरण का सर्टिफिकेट दिखाना होगा। सिंगल मदर या तलाकशुदा के लिए नौकरी में आरक्षण का लाभ लेने के लिए तलाक का दस्तावेज दिखाना होता है। यहां तक कि गुजाराभत्ता के लिए भी आपको मैरिज सर्टिफिकेट दिखाना होगा।

शादी रजिस्ट्रेशन कैसे करे तरीका - Marriage Registration Process

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहाँ 2 एक्ट्स के तहत शादियो का रजिस्ट्रेशन होता है -

  • हिन्दू मैरिज एक्ट 1955
  • स्पेशल मैरिज एक्ट 1954

हिन्दू एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है पति पत्नी जहां रहते है उस क्षेत्र के सबडीवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के दफ्तर मे अर्जी दे सकते है | अर्जी पर पति पत्नी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए | अर्जी देते वक्त उसके साथ लगाए गए दस्तावेज़ की जांचपरख होती है उसके बाद शादी के लिए एक दिन तय किया जाता है जिसकी सूचना दंपति की दे दी जाती है | सूचना मिलने पर वहाँ पहुंचे और शादी का रजिस्ट्रेन्शन करा ले | रजिस्ट्रेशन के समय एक गैजेटेड ऑफिसर को भी मौजूद रहना पड़ता है | प्रमाणपत्र उसी दिन जारी कर दिया जाता है |

शादी रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़ - Documents For Marriage Registration

  • सबसे पहले आवेदन पत्र पूरी तरह से भरा हुआ साथ मे ही पति पत्नी और उनके माता पिता के हस्ताक्षर होने जरूरी है |
  • रिहाइस का प्रमाण पत्र जैसे वॉटर आईडी कार्ड/राशन कार्ड/ पासपोर्ट/ ड्राइवनिग लाइसेन्स/ पति और पत्नी का जन्म प्रमाणपत्र और पति पत्नी दोनों के 2 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, शादी का एक फोटोग्राफ
  • अगर आप किसी विदेशी से शादी कर करने जा रही हैं तो उस व्यक्ति के देश की एम्बेसी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट हो।
  • 10 रुपये का नॉन-ज्यूडिशियल स्टैम्प पेपर पर पति-पत्नी द्वारा अलग-अलग एफिडेविट।
  • अगर शादी किसी धार्मिक स्थल पर हुई हो तो वहां के पुरोहित या पंडित द्वारा जारी किया गया विवाह प्रमाण पत्र।
  • सारे दस्तावेज़ सैल्फ़ अटैस्टेड होने चाहिए और साथ ही शादी का एक निमंत्रण पत्र भी लगाना होता है |
  • दूल्हा या दुल्हन को उस तहसील का निवासी हो जहां शादी रजिस्टर्शन कराई जानी है और सबसे जरूरी है दूल्हा की उम्र 21 और दुल्हन की 18 कम से कम होनी चाहिए |