Supreme Court Historical Verdict in 2019 in Hindi - सुप्रीम कोर्ट के 6 बड़े फैसले

The Supreme Court of India, being the highest court of the country, remains busy all round the year entertaining a variety of important cases. in 2019, however, it had the arduous task of adjudicating one of the most sensitive cases in independent India's history -- the Ayodhya title dispute.

Supreme Court Historical Verdict in 2019 in Hindi - सुप्रीम कोर्ट के 6 बड़े फैसले

1.अयोध्या मामले परसुप्रीमफैसला: सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद अयोध्या में बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि मामले पर 9 नवंबर 2019 को अहम फैसला सुनाया, जिसके बाद सदियों पुराना मामला हमेशा-हमेशा के लिए सुलझ गया.

इस मामले पर फैसला सुनाने से पहले सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायमूर्तियों की बेंच ने 40 दिन तक नियमित सुनवाई की. इस मामले में 32 याचिकाएं लगाई गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन मामले में तीन पक्षकार बनाए थे, जिसमें पहला पक्ष रामलला विराजमान का था, दूसरा पक्ष निर्मोही अखाड़ा का था और तीसरा पक्ष था सुन्नी वक्फ बोर्ड का.

शीर्ष अदालत ने तीनों पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने का आदेश दिया, जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का सरकार को आदेश दिया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज खारिज कर दिया. इसके बाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन भी फाइल की गईं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इनको खारिज कर दिया. अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद लंबे समय तक धार्मिक और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील रहा है.

2.कर्नाटक के अयोग्य विधायकों पर फैसला: कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस और जेडीएस के 17 बागी विधायकों के इस्तीफे को ठुकराते हुए, उनको अयोग्य (Unqualified) घोषित कर दिया था. इसके बाद इन बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इन विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दलबदल कानून के तहत कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर के फैसले को सही ठहराया था, लेकिन इन विधायकों को उपचुनाव लड़ने की इजाजत दे दी थी.

श्रीमंत बालासाहेब पाटील बनाम स्पीकर कर्नाटक विधानसभा मामले पर फैसला सुनाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने और उनको राहत देते हुए चुनाव लड़ने की इजाजत देने का सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नजीर बन गया.

इन विधायकों के बागी होने के चलते ही कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की Leadership वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिर गई थी. इसके बाद बीजेपी ने सरकार बना ली थी. वर्तमान में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं. इस मामले पर तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने फैसला सुनाया था.

3.आरटीआई के दायरे में आएगा चीफ जस्टिस का ऑफिस: सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में चीफ जस्टिस ऑफिस के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया. शीर्ष कोर्ट के इस फैसले से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का ऑफिस आरटीआई के दायरे में आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का ऑफिस एक पब्लिक अथॉरिटी है, जो RTI के तहत आएगा. हालांकि इस दौरान दफ्तर की गोपनीयता (Privacy) बरकरार रहेगी.

यह फैसला तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपक गुप्ता, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एन वी रमण की बेंच ने सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 124 के तहत इस फैसले को लिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के साल 2010 के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के ऑफिस को आरटीआई के दायरे में आने का फैसला दिया था.

इस फैसले को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी (remark) की थी कि कानून से ऊपर न्यायमूर्ति भी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब आरटीआई कानून के तहत आम लोग चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय की जानकारी हासिल कर सकते हैं.

4.मुंबई में डांस बार दोबारा से खोलने की इजाजत: सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में डांस बार को लेकर भी अहम फैसला सुनाया. इस फैसले को सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मुंबई में नए सुरक्षा और नियमों के साथ डांस बार दोबारा से खोले जा सकते हैं, लेकिन डांस बार में पैसों की बारिश करने की इजाजत नहीं होगी.

अदालत ने कहा था कि मुंबई के डांस बार में सीसीटीवी कैमरों की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे लोगों की निजता यानी प्राइवेसी का उल्लंघन होता है. इस मामले पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि साल 2005 से सरकार ने एक भी डांस बार को लाइसेंस नहीं दिया. वर्तमान नियमों के आधार पर डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.

5.महाराष्ट्र सरकार गठन पर फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकार गठन और फ्लोर टेस्ट को लेकर बड़ा फैसला दिया था, जिसके बाद State की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिला था. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन फडणवीस सरकार को फौरन फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था. इसके बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में बहुमत मिलता न देख अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार का गठन किया. फिलहाल महाराष्ट्र में शिवसेना की लीडरशिप वाली गठबंधन सरकार है, जिसके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर पैदा हुए टकराव के बाद दोनों पार्टियां अलग-अलग हो गई थीं. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

6.अब 7 भाषाओं में आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जुलाई में अपने सभी फैसलों को अंग्रेजी-हिंदी समेत 7 भारतीय भाषाओं में जारी करने का आदेश दिया। यह आदेश तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के Administrative Head होने के नाते जारी किया। अब सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले की कॉपी आधिकारिक वेबसाइट पर 'वर्नाकुलर जजमेंट्स' टैब से डाउनलोड किा जा सकता है, इसमें दक्षिण भारतीय भाषाएं भी शामिल हैं।