What is Test Tube Baby in Hindi - टेस्ट ट्यूब बेबी क्या होता है?

आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन गर्भधारण करवाने की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। आईवीएफ की प्रक्रिया से जन्म लिए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी (परखनली शिशु) भी कहा जाता है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए विकसित की गई है, जो किन्हीं कारणवश गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।

What is Test Tube Baby in Hindi - टेस्ट ट्यूब बेबी क्या होता है?

What is Test Tube Baby in Hindi - कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पुरुष का स्पर्म महिला के शरीर में भ्रूण का निर्माण करने के लिए पूरी तरह से fertile नहीं होता है इस स्थिति में बच्चा पैदा करने के लिए एक Artificial Method का सहारा लिया जाता है जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी या In vitro fertilization (IVF) कहते हैं।

टेस्ट ट्यूब बेबी (IVF) क्या है?: स्पर्म कमजोर होने की हालत में बच्चे के जन्म से वंचित रहने की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 1978 में बच्चा पैदा करने की टेस्ट ट्यूब बेबी विधि की खोज की गई। यह विधि अब तक कायमाब रही है और दुनियाभर में इस विधि से लोग बच्चा पैदा करते हैं। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाशय (Ovary) से अंडों को निकाला जाता है, जिसके बाद उन्हें लैब में स्पर्म के साथ Fertilized किया जाता है। Fertilization अंडे और स्पर्म के मिलने के बाद बच्चा बनने का पहला स्टेप होता है, जिससे भ्रूण (एम्ब्रीओ, Embryo) बनता है। फिर इस भ्रूण को बढ़ने और विकसित होने के लिए महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में पत्नी के अंडे और पति के स्पर्म का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इन दोनों में से किसी के भी अंडे या स्पर्म में कोई प्रॉब्लम हो तो एक डोनर के अंडों या स्पर्म का उपयोग किया जा सकता है।

एक नेचुरल Pregnancy procedure में पुरुष का स्पर्म महिला के ओवरी में मौजूद अंडे के अंदर जाकर उसे फर्टिलाइज करता है| ओवुलेशन के बाद अंडा फर्टिलाइज होकर ओवरी से निकलकर महिला के यूटेरस में चला जाता है और वह धीरे धीरे इंसान का रूप लेता है। जो महिला नैचुरली कंसीव नही कर पाती है तो उनके लिए IVF की तकनीक वरदान की तरह है|

IVF से Conception (गर्भधारण) करने की प्रक्रिया: आईवीएफ साईकल शुरू करने से पहले पति और पत्नी के कई मेडिकल टेस्ट्स किये जाते हैं। पुरुषों के लिए केवल सीमेन की जांच की जाती है, जिससे स्पेर्म्स की quantity, quality और size की जांच की जा सके। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले थोड़े ज़्यादा टेस्ट्स कराने होते है जैसे Ovarian Reserve Testing (अंडाशय में अंडो की जांच), Ultrasound Of Ovaries (अंडाशय का अल्ट्रासाउंड), Uterine Cavity Exam (गर्भाशय की जांच), Infectious Disease Screening (संक्रमण न होने की पुष्टि). ये सभी टेस्ट कराने के बाद टेस्ट ट्यूब बेबी का प्रोसेस शुरू होता है

#1.मासिक धर्म को को रोकना: कम से कम 2 हफ़्तों तक इंजेक्शन में दवाई दे कर महिलाओ का मासिक धर्म रोका जाता है क्योंकि मासिक धर्म चलते रहने पर गर्भ धारण नही किया जा सकता|

#2.सुपर ओवुलेशन: दूसरे स्टेप में ओवरी जहाँ अंडा बनाता है ओवुलेशन के दौरान उसे फर्टिलिटी ड्रग दिया जाता है| जिसमे फर्टिलिटी हॉर्मोन्स होते है जिससे ओवरी नार्मल से ज्यादा अंडे पैदा करता है।

#3.अंडे को बाहर निकालना: फर्टिलिटी हॉर्मोन के वजह से ओवरी में बनाए जाने वाले अंडो को एक छोटी सी सर्जरी द्वारा बाहर निकाला जाता है। सर्जरी में एक पतली सी सुई महिला के वजाइना से होकर ओवरी तक ले जाई जाती है, जिसमे सुई के आगे लगे सक्शन पंप अंडे को खींच के बाहर निकालते हैं।

#4.इनसेमिनेशन और फर्टिलाइजेशन: चौथे स्टेप में बाहर निकाले गए अंडो को पुरुष के स्पर्म के साथ रखा जाता है।कुछ समय बाद स्पर्म अंडे के अंदर जाना शुरू कर देते है। कई बार अंडो के अंदर स्पर्म्स को इंजेक्शन द्वारा डाला जाता है। इस प्रक्रिया को इनसेमिनेशन कहा जाता है। स्पर्म जब अंडे के अंदर चला जाता है तो उसे फर्टिलाइज करना शुरू कर देता है। अंडा जब पूरी तरह से फर्टिलाइज हो जाता है तो वह एम्ब्रीओ का रूप ले लेता है। यह प्रोसेस महिला के ओवरी से निकाले गए सभी अंडो के साथ होता है।

#5.एम्ब्रीओ(भ्रूण) को अंदर डालना: पांचवे स्टेप में सभी एम्ब्रीओ की जाँच की जाती है और उनमें से सबसे बेहतर एम्ब्रीओ को चुना जाता है। डॉक्टर और couple आपस मे discussion करके choose करते है कि कौनसा भ्रूण महिला के गर्भ में जाना चाहिए। अगर बने हुए सभी भ्रूण मे से एक भी स्ट्रोंग नही होता तो महिला के गर्भ में एक से अधिक भ्रूण डाले जाते है। भ्रूण को एक पतले से ट्यूब द्वारा वजाइना से होते हुए महिला के यूटरस में डाल दिया जाता है और धीरे-धीरे बच्चे का आकार लेना शुरू कर देता है।

इन सारे स्टेप्स के कुछ दिनों बाद एक टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म होता है। विश्व मे अब तक लगभग 50 लाख से ज्यादा टस्ट ट्यूब बेबी जन्म ले चुके हैं और लूसी ब्राउन नाम की बच्ची दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी बनी।

क्या आईवीएफ सफल होती है?: ये कई सारे फैक्टर्स पर डिपेंड करता है जैसे ऐज, पिछली प्रेगनेंसी, Type of fertility problems, Lifestyle habit और Fertility clinic etc.

आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स और जोखिम: आईवीएफ साईकल शुरू करने से पहले आपको इससे जुड़े Risks and complications के बारे में पता होना चाहिए।

1.दवाओं के Side effects: आईवीएफ के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं से कई Side effects होते है जैसे: Hot Flashes-चेहरे, गर्दन, कान और बाकी शरीर में गर्मी महसूस होना, चिड़चिड़ा महसूस करना, सिर दर्द और बेचैनी आदि

2.मल्टीपल प्रेगनेंसी (एक से अधिक बच्चों को जन्म देना): यदि टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट में एक से अधिक भ्रूण को गर्भ में डाल दिया जाता है, तो जुड़वा या तीन बच्चे (ट्रिप्लेट्स) होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
जिससे मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है या सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत पड़ सकती हैं

3.अण्डाशयी हाइपर स्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (Ovarian Hyper stimulation Syndrome, OHSS): यह आईवीएफ की एक Rare complexity है, यानी ऐसा बहुत कम होता है। यह उन महिलाओं में होता है जो अंडे का production बढ़ाने के लिए ली गई Reproductive drugs के प्रति बहुत Sensitive होती हैं। अंडाशय में बहुत सारे अंडे Developed हो जाते हैं, जो बहुत बड़े हो जाते हैं और यह स्थिति दर्दनाक हो सकती है।

4.अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy): यदि आप आईवीएफ कर रहे हैं, तो आपको अस्थानिक गर्भावस्था का थोड़ा अधिक जोखिम रहता है। इसमें भ्रूण गर्भ के बजाय फैलोपियन ट्यूब में Implant हो जाता है। इससे पेट में दर्द हो सकता है जिसके बाद ब्लीडिंग हो सकती है

#आईवीएफ की लागत कितनी होती है?: हर शहर में इसका खर्चा कम ज्यादा होता है लेकिन इसमें 1 से 3 लाख तक का खर्चा आता है