जीरो FIR क्या होती है? - What is Zero FIR in Hindi

जब कोई संज्ञेय अपराध के बारे में घटनास्थल से बाहर के पुलिस थाने में FIR दर्ज कराई जाती है तो उसे जीरो FIR कहा जाता है. इसमें घटना की अपराध संख्या दर्ज नहीं की जाती है. जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार, संज्ञेय अपराध होने की दशा में घटना की FIR किसी भी जिले में दर्ज कराई जा सकती है

जीरो FIR क्या होती है? - What is Zero FIR in Hindi

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किस तरह के मामले में केस दर्ज होता है। अपराध दो तरह के होते हैं असंज्ञेय (non cognizable Offence) और संज्ञेय अपराध (cognizable Offence)।

असंज्ञेय अपराध non cognizable Offence - असंज्ञेय अपराध मामूली अपराध होते हैं मसलन मामूली मारपीट आदि के मामले असंज्ञेय अपराध होते हैं। ऐसे मामले में सीधे तौर पर एफआईआर नहीं दर्ज की जा सकती, बल्कि शिकायत को मैजिस्ट्रेट को रेफर किया जाता है और मैजिस्ट्रेट इस मामले में आरोपी को समन जारी कर सकता है। फिर मामला शुरू होता है। यानी ऐसे मामले में चाहे जूरिस्डिक्शन हो या न हो किसी भी हाल में केस दर्ज नहीं हो सकता।

संज्ञेय अपराध cognizable Offence - दूसरा मामला संज्ञेय अपराध का होता है, जो गंभीर किस्म के अपराध के होते हैं। ऐसे मामले में गोली चलाना, मर्डर व रेप आदि होते हैं, जिनमें सीधे एफआईआर दर्ज की जाती है। सीआरपीसी की धारा-154 के तहत पुलिस को संज्ञेय मामले में सीधे तौर पर एफआईआर दर्ज करना जरूरी होता है। अगर शिकायती के साथ किया गया अपराध उस थाने की जूरिस्डिक्शन में नहीं हुआ हो, जहां शिकायत लेकर शिकायती पहुंचता है, तो भी पुलिस को शिकायती की शिकायत के आधार पर केस दर्ज करना होगा।

What is Zero FIR in Hindi?- जीरो एफआईआर उसे कहते हैं, जब कोई महिला उसके विरुद्ध हुए संज्ञेय cognizable अपराध के बारे में घटनास्थल crime spot से बाहर के पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाए। इसमें घटना की अपराध संख्या दर्ज नहीं की जाती। हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार, संज्ञेय अपराध होने की दशा में घटना की एफआईआर किसी भी जिले में दर्ज कराई जा सकती है। चूंकि यह मुकदमा घटना वाले स्थान पर दर्ज नहीं होता, इसलिए तत्काल इसका नंबर नहीं दिया जाता, लेकिन जब उसे घटना वाले स्थान पर transfer किया जाता है, तब अपराध संख्या दर्ज कर ली जाती है।

जीरो एफआईआर के पीछे सोच यह थी कि किसी भी थाने में शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू की जाए और सबूत एकत्र किए जाएं। शिकायत दर्ज नहीं होने की स्थिति में सबूत नष्ट होने का खतरा होता है। जीरो एफआईआर हो या सामान्य एफआईआर, दर्ज की गई शिकायत को सुनकर/ पढ़कर उस पर शिकायती का हस्ताक्षर करना अनिवार्य कानूनी प्रावधान है।

कब करे zero FIR का उपयोग: हत्या, रेप एवं एक्सीडेंट्स जैसे अपराध जगह देखकर नहीं होती या फिर ऐसे केसेस में ये भी हो सकता है कि अपराध किसी उपरोक्त थाने की सीमा में न घटित हो. ऐसे केसेस में तुरंत कार्यवाही की मांग होती है परन्तु बिना FIR के कानून एक कदम भी आगे नहीं चल पाता हैं. अतः ऐसे मौको में मात्र कुछ आई-विटनेस एवं सम्बंधित जानकारियों के साथ आप इसकी शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन में करवा सकते हैं. ध्यान रहे लिखित कंप्लेंट करते वक़्त FIR की कॉपी में हस्ताक्षर कर एक कॉपी अपने पास रखना न भूले.

ये ज्ञात हो की FIR दर्ज कर कानूनी प्रक्रिया को आगे बढाने की सारी ज़िम्मेदारी पुलिसवालो का प्रधान उद्देश्य होती हैं अतः कोई भी पुलिस वाला सिर्फ ये कहकर आपका FIR लिखने से मना नहीं कर सकता कि “ ये मामला हमारे सीमा से बाहर का है”

कैसे करे zero FIR: सामान्य FIR के तरह ही zero FIR भी लिखित या मौखिक में करवाई जा सकती हैं. यदि आप चाहे तो पुलिस वाले से रिपोर्ट को पढने का भी अनुरोध कर सकते हैं. ध्यान दे की FIR लिखने के बाद पुलिस बिना देरी किये उस केस के छानबीन में जुट जाये. याद रखे की विषम परिस्थितयों (Negative Situation) में आपके द्वारा दिखाई गयी सूझ-बुझ एवं जागरूकता ही आपको विषम परिस्थितयों (Negative Situation) से उबार सकती हैं. अतः हमारी आप सभी से ये ही गुजारिश हैं की सुरक्षित रहे, जागरूक रहे एवं लोगो को भी जागरूक करते रहे. ज्ञात रहे की आपके द्वारा दिखाई जागरूकता एक विकसित समाज की स्थापना करने में हमारी काफी मदद कर सकती हैं.